Bazm-E-Dushman Main Bulate Ho, Ye Kya Karte Ho


Bazm-E-Dushman Main Bulate Ho, Ye Kya Karte Ho,
Aur Phir Aakh Churate Ho, Ye Kya Karte Ho,

Baad Mein Phir Koi Mujhsa Milega Tum Ko,
Khak Me Kis Ko Milate Ho, Ye Kya Karte Ho,

Chhinte Paani Ke Na Do, Neend Bhari Aakho Par,
Soote Kitne Ko Jagate Ho, Ye Kya Karte Ho,

Hum To Dete Nahi, Kya Ye Bhi Zabardasti Hai,
Chhiin Kar Dil Liye Jate Ho, Ye Kya Karte Ho,

Ho Na Jaye Kahi, Daman Ka Chudana Mushkil,
Mujh Ko Dewana Banate Ho, Ye Kya Karte Ho


Us Sitamkesh ke Chakmon me na aana 'Bekhud'
Haal-e-dil kis ko sunaate ho Ye Kya Karte Ho

Album: Eternity (1978)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Bekhud Dehlvi
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बज़्म-ए-दुश्‍मन में बुलाते हो ये क्या करते हो
और फिर आँख चुराते हो ये क्या करते हो

बाद मेरे कोई मुझसा न मिलेगा तुम को
ख़ाक में किस को मिलाते हो ये क्या करते हो

हम तो देते नहीं क्या ये भी ज़बरदस्ती है
छीन कर दिल लिए जाते हो ये क्या करते हो

छींटे पानी के न दो नींद भरी आँखों पर
सोते फ़ितने को जगाते हो ये क्या करते हो

हो न जाए कहीं दामन का छुड़ाना मुश्‍किल
मुझ को दीवाना बनाते हो ये क्या करते हो

उस सितमकेश के चकमों में न आना 'बेख़ुद'
हाल-ए-दिल किस को सुनाते हो ये क्या करते हो


कर चुके बस मुझे पामाल अदू के आगे
क्यूँ मेरी ख़ाक उड़ाते हो ये क्या करते हो
पामाल - कुचला हुआ, अदू - रक़ीब

मुहतसिब एक बलानोश है ऐ पीर-ए-मुगाँ
चाट पर किस को लगाते हो ये क्या करते हो
मुहतसिब - शराबबन्दी अधिकारी/मद्यनिरोधक,
बलानोश पियक्कड़/रिन्द,
मुगाँ - मदिरालय

काम क्या दाग़-ए-सुवैदा का हमारे दिल पर
नक़्श-ए-उल्फ़त को मिटाते हो ये क्या करते हो
सुवैदा = दिल

फिर उसी मुँह पे नज़ाकत का करोगे दावा
ग़ैर के नाज़ उठाते हो ये क्या करते हो

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By: Jagjit Singh
 

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