Paseene Paseene Huye Jaa Rahe Ho
Ye Bolo Kahan Se Chale Aa Rahe Ho
Hamen Sabr Karne Ko Keh To Rahe Ho
Magar Dekh Lo Khud Hi Ghabraa Rahe Ho
Ye Kiskee Buri Tumko Nazar Lag Gayee Hai
Baharon Ke Mausam Mein Murjha Rahe Ho
Ye Aaina Hai Ye To Sach Hi Kahega
Kyon Apni Haqeeqat Se Katraa Rahe Ho
Ye Bolo Kahan Se Chale Aa Rahe Ho
Hamen Sabr Karne Ko Keh To Rahe Ho
Magar Dekh Lo Khud Hi Ghabraa Rahe Ho
Ye Kiskee Buri Tumko Nazar Lag Gayee Hai
Baharon Ke Mausam Mein Murjha Rahe Ho
Ye Aaina Hai Ye To Sach Hi Kahega
Kyon Apni Haqeeqat Se Katraa Rahe Ho
Album: Ecstasies (1984)
By: Jagjit Singh and Chitra Singh
Lyrics: Saeed Rahi
पसीने पसीने हुए जा रहे हो यह बोलो कहाँ से चले आ रहे हो हमें सब्र करने को कह तो रहे हो मगर देख लो, ख़ुद ही घबरा रहे हो यह किसकी बुरी तुमको नज़र लग गई है बहारों के मौसम में मुरझा रहे हो यह आईना है यह तो सच ही कहेगा क्यों अपनी हक़ीक़त से कतरा रहे हो
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Singer: Chirta Singh
Singer: Munni Beghum
with little bit original sound quality
Lyrics Proof Editing Curtsy: Vinay Ranjan
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जवाब देंहटाएं-"हमें सब्र करने को *कह तो रहे हो"
*कह की बजाय (यह) छप गया है।
-"बहारों के मौसम में *मुरझा [मुर्झा] गये हो।"
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विनय रंजन जी,
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका...! मैं सुधार कर रहा हूँ...
वीडियो पर राईट क्लिक कर के आप वीडियो लिंक पा सकते हैं!
सभार