This Blog is dedicated to Late Jagjit Singh and Ghulam Ali, the great gajal singers.
Ye Zindagi
Ye Zindagii
Aaj Jo Tumhaare
Badan Kii Chhotii-ba.dii Naso.n Me.n
Machal Rahii Hai
Tumhaare Pairo.n Se Chal Rahii Hai
Ye Zindagii
Tumhaarii Aavaaz Me.n Gale Se Nikal Rahii Hai
Tumhaare Lafzo.n Me.n Dhal Rahii Hai
Ye Zindagii
Jaane Kitanii Sadiyo.n Se
Yuu.n Hii Shaqale.n
Badal Rahii Hai
Badalatii Shaqale.n
Badalate Jismo.n Me.n
Chalataa-phirataa Ye Ik Sharaaraa
Jo Is Gha.dii
Naam Hai Tumhaaraa
Isii Se Saarii Chahal-pahal Hai
Isii Se Roshan Hai Har Nazaaraa
Sitaare To.do Yaa Ghar Basaao
Qalam Uthaao Yaa Sar Jhukaao
Tumhaarii Aa.nkho.n Kii Roshnii Tak
Hai Khel Saaraa
Ye Khel Hogaa Nahii.n Dubaaraa
Ye Khel Hogaa Nahii.n Dubaaraa
Album: Insight (1994)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli
ये ज़िन्दगी
आज जो तुम्हारे
बदन की छोटी-बड़ी नसों में
मचल रही है
तुम्हारे पैरों से चल रही है
तुम्हारी आवाज़ में ग़ले से निकल रही है
तुम्हारे लफ़्ज़ों में ढल रही है
ये ज़िन्दगी
जाने कितनी सदियों से
यूँ ही शक्लें
बदल रही है
बदलती शक्लों
बदलते जिस्मों में
चलता-फिरता ये इक शरारा
आज जो तुम्हारे
बदन की छोटी-बड़ी नसों में
मचल रही है
तुम्हारे पैरों से चल रही है
तुम्हारी आवाज़ में ग़ले से निकल रही है
तुम्हारे लफ़्ज़ों में ढल रही है
ये ज़िन्दगी
जाने कितनी सदियों से
यूँ ही शक्लें
बदल रही है
बदलती शक्लों
बदलते जिस्मों में
चलता-फिरता ये इक शरारा
जो इस घड़ी
नाम है तुम्हारा
इसी से सारी चहल-पहल है
इसी से रोशन है हर नज़ारा
सितारे तोड़ो या घर बसाओ
अलम उठाओ या सर झुकाओ
तुम्हारी आँखों की रोशनी तकनाम है तुम्हारा
इसी से सारी चहल-पहल है
इसी से रोशन है हर नज़ारा
सितारे तोड़ो या घर बसाओ
अलम उठाओ या सर झुकाओ
है खेल सारा
ये खेल होगा नहीं दुबारा
ये खेल होगा नहीं दुबारा
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By: Jagjit Singh
Munh Ki Baat Sune Har Koi Dil Ke Dard Ko Jaane Kaun
Munh Ki Baat Sune Har Koi, Dil Ke Dard Ko Jane Kaun
Avazon Ke Bazaron Men Khamoshi Pahchane Kaun
Sadiyon Sadiyon Vahi Tamasha Rasta Rasta Lambi Khoj
Lekin Jab Ham Mil Jaate Hain, Kho Jata Hai Jaane Kaun
Vo Mera Aaina Hai Main Us Ki Parachhain Hun
Mere Hi Ghar Men Rahata Hai, Mujh Jaisa Hi Jane Kaun
Kiran Kiran Alsaata Suraj, Palak Palak Khulati Ninden
Yun Hi Dil Pighal Rahaa Hai, Zarraa-zarraa Jaane Kaun
Album: Insight (1994)
By: Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli
***This Ghazal was also Title Song or OST of TV Serial Neem Ka Ped based on novel by - Dr Rahi Masoom Raza
मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन
सदियों-सदियों वही तमाशा रस्ता-रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन
जाने क्या-क्या बोल रहा था सरहद, प्यार, किताबें, ख़ून
कल मेरी नींदों में छुपकर जाग रहा था जाने कौन
वो मेरा आईना है या मैं उसकी परछाई हूँ
मेरे ही घर में रहता है मुझ जैसा ही जाने कौन
किरन-किरन अलसाता सूरज पलक-पलक खुलती नींदें
धीमे-धीमे बिखर रहा है ज़र्रा-ज़र्रा जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने कौन
सदियों-सदियों वही तमाशा रस्ता-रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं खो जाता है जाने कौन
जाने क्या-क्या बोल रहा था सरहद, प्यार, किताबें, ख़ून
कल मेरी नींदों में छुपकर जाग रहा था जाने कौन
वो मेरा आईना है या मैं उसकी परछाई हूँ
मेरे ही घर में रहता है मुझ जैसा ही जाने कौन
किरन-किरन अलसाता सूरज पलक-पलक खुलती नींदें
धीमे-धीमे बिखर रहा है ज़र्रा-ज़र्रा जाने कौन
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By: Jagjit Singh
From TV Serial Neem Ka Ped
(Based on novel by - Dr Rahi Masoom Raza)
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